3.व्याकरणिक विवेचन के आधार पर-
व्याकरणिक
विवेचन के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं-
क.
विकारी शब्द
ख.
अविकारी शब्द
क.विकारी
शब्द-
‘विकारी’ शब्द ‘विकार’ शब्द से बना है,
जिसका अर्थ है ;परिवर्तन’, ‘बदलाब’. ‘विकार’ शब्द में ‘ई’ प्रत्यय लगकर ‘विकारी’
शब्द बना है जिसका अर्थ है ‘परिवर्तनशील’.
इसीलिये ‘विकारी शब्द’ ऐसे
शब्दों को कहते हैं जो व्याकरणिक आवश्यकता के अनुसार वाक्य में लिंग, वचन और कारकों के आधार पर अपना रुप परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया शब्द विकारी शब्द होते हैं; जैसे-
संज्ञा लड़का - लड़के, लड़कों.
सर्वनाम मैं - मुझे, मेरा.
विशेषण अच्छा - अच्छे, अच्छों.
क्रिया जाना -
जायेगा, जा रहा है.
ख.अविकारी
शब्द-
‘अविकारी’ शब्द विकारी शब्द में ‘अ’ उपसर्ग
लगकर बना है, जो ‘विकारी’ शब्द का विलोम शब्द है अर्थात अविकारी से अभिप्राय ऐसे शब्दों से है,
जिनका किसी भी
परिस्थिति
में रुप परिवर्तित नहीं होता. अविकारी शब्दों को अव्यय शब्द भी कहते हैं.
अव्यय
शब्द-
अव्यय का
शाब्दिक अर्थ है जिसका क्षय या नाश न हो, अविकारी. संज्ञा,
सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के शब्द –वचन,
लिंग, पुरुष, काल,
कारक, आदि के अनुसार भिन्न-भिन्न रुप में
मिलते हैं, किंतु कुछ शब्द अविकारी होते हैं अर्थात उनमें
प्रति, यद्यपि, तथापि, आदि. ऐसे शब्द अव्यय कहलाते हैं.
अव्यय के
पाँच प्रमुख भेद हैं-
क.
क्रिया विशेषण
ख.
सम्बंध बोधक
ग.
समुच्चय बोधक
घ.
विस्मयादिबोधक
ङ.
निपात
क.क्रिया
विशेषण-
क्रिया
विशेषण क्रिया की विशेषता बताते हैं,
इनके
चार भेद हैं-
अ. रीतिवाचक
क्रिया विशेषण:- धीरे-धीरे, ठीक-ठीक, ध्यानपूर्वक,
आदि.
आ.
कालवाचक क्रिया विशेषण:- आज, अब, सुबह, प्रतिदिन, सदैव,आदि.
इ. परिमाण
वाचक क्रिया विशेषण;- बहुत, जरा,
थोड़ा, बिल्कुल, आदि.
ई. स्थान
वाचक क्रिया विशेषण;- आगे, पीछे,
यहाँ, इधर, ऊपर, आदि.
ख.सम्बंध बोधक अव्यय-
सम्बंध बोधक अव्यय पहले आये संज्ञा या सर्वनाम
के सम्बंध को स्पष्ट करते हैं. जैसे-
मोहन के संग राधा भी थी.
प्रमुख सम्बंध बोधक अव्यय हैं- के बाहर, के आगे, के पहले, की वजह से, के लिये, के वास्ते, के संग, के बिना,
के अतिरिक्त, की अपेक्षा, की तुलना में, के बदले, के
विपरीत, के विरुद्ध, के विषय में,
आदि.
ग.समुच्चय बोधक अव्यय-
समुच्चय बोधक अव्यय दो शब्दों, दो पदबंधों या दो वाक्यों को आपस में संयोजित करते हैं. इनके प्रमुख
प्रकार हैं-
अ. और, तथा, एवम, न-------न.
आ.
या, अथवा,
या-----या, नहीं तो, अन्यथा,
न कि----
इ. पर, परंतु, किंतु, लेकिन, मगर, बल्कि-------
ई. अतः, फलतः, इसलिये-------
उ. यदि-----तो, यद्यपि--------तथापि.
ऊ. क्योंकि, इसलिये-------कि, ताकि.
ऋ. कि, अर्थात, यानि------यानि.
घ
.विस्मयादिबोधक अव्यय-
विस्मयादिबोधक
अव्यय वे शब्द हैं जो विस्मय, हर्ष, शोक,
व्यथा, घृणा आदि मनोभावों को उद्गार के रुप
में प्रकट करते हैं. जैसे-
अरे, वाह, हाय, ओफ, शाबाश, हटो, हे, आदि.
ड़.निपात-
निपात
ऐसे अव्यय हैं जो वाक्य में किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष
प्रकार का बल(अवधारणा) देते हैं.
प्रमुख
निपात निम्नलिखित हैं-
अ. ही:
मोहन ही जा रहा है.
आ.
केवल: केवल मोहन जा
रहा है. (केवल शब्द पहले आता है, बाद में नहीं.)
इ. मात्र:
शिक्षा मात्र मनुष्य को ऊँचा उठाती है.
ई. भर:
मैं उसे जानता भर हूँ.
उ. भी:
मोहन भी जा रहा है.
ऊ. तक:
तुम आये तक नहीं.
ऋ. तो:
मोहन पढ़ता तो है, पर अच्छे अंक नहीं मिलते.
4.स्रोत/इतिहास
के आधार पर-
हिंदी
भाषा का विकास संस्कृत भाषा से हुआ है. इसीलिये अधिकांश शब्द हिंदी भाषा और
संस्कृत भाषा में समान हैं, किंतु कुछ शब्दों का रुप परिवर्तित
भी हो गया है. समय-समय पर विदेशी भाषाओं(अरबी, फारसी,
अंग्रेजी,आदि) का प्रभाव भी हिंदी भाषा पर
पड़ा. कुछ शब्द ज्यों के त्यों हिंदी भाषा में अपना लिये गये और कुछ का रुप
परिवर्तित हो गया. हिंदी भाषा पर देसी बोलियों का प्रभाव भी बहुतायत से पड़ा है. इस
आधार पर शब्दों के निम्नलिखित भेद होते हैं-
क.
तत्सम शब्द
ख.
तद्भव शब्द
ग.
देशी शब्द
घ.
विदेशी शब्द
ङ.
संकर शब्द
क.तत्सम
शब्द-
जो शब्द
संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यों हिंदी भाषा में आये हैं और उनमें संस्कृत भाषा के
प्रत्यय,
उपसर्ग लगाकर नये शब्द बनाये गये हैं वे तत्सम शब्द कहलाते हैं.
उदाहरण-
पुष्प, पुस्तक, दूरदर्शन, नीर,
ताम्बूल, आदि.
संस्कृत
भाषा के जो शब्द प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी
हिंदी से गुजरने के कारण आज परिवर्तित रुप में हिंदी भाषा में मिल रहे हैं,
उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं.
उदाहरण-
तत्सम से
तद्भव रुप-
सप्त:- सात
मुख:- मुँह
मयूर:- मोर
कुम्भकार:- कुम्हार
अंधकार:- अंधेरा
ग. देशी
शब्द-
जो शब्द
संस्कृत व्याकरण के आधार पर सिद्ध न किये जा सकें, वे देशी
शब्द कहलाते हैं.
उदाहरण-
ओढ़ना, घाघरा, छोरा, तरकारी, गगरी, आदि.
घ.विदेशी
शब्द-
समय-समय
पर विदेशी भाषाओं के शब्द भी हिंदी भाषा में सम्मिलित हुये हैं, इनमें प्रमुख हैं- अंग्रेजी, अरबी, फरसी, तुर्की, आदि.
उदाहरण-
अंग्रेजी
शब्द- अपील, अफसर, रेल, नम्बर, रजिस्टर, नर्स, टाइप, टेलीफोन, कोर्ट, डॉक्टर, आदि.
अरबी
शब्द- अखबार, अमीर, तरक्की, मुहावरा, मतलब,
कसूर, इमारत, इलाज,
किताब, ईमानदार, आदि.
फारसी
शब्द- अदा, अफसोस, आईना, आमदनी, किशमिश, पैदावार, बीमार, गुलाब,
चादर, आवाज, आदि.
तुर्की
शब्द- तोप, कैंची, उर्दु, कुली, चाकू, चमचा, बहादुर, मुगल, अरमान आदि,
पुर्तगाली
शब्द- अचार, कमीज, काजू, गमला, गोदाम, तम्बाकू, चाबी, नीलाम, आदि.
ङ संकर
शब्द-
दो भिन्न
भाषाओं से मिलकर बने शब्द संकर शब्द कहलाते हैं.
शब्द भाषायें
रेल
यात्रा (अंग्रेजी+संस्कृत)
जेब खर्च (पुर्तगाली+फारसी)
जिलाधीश (अरबी+संस्कृत)
रेलगाड़ी (अंग्रेजी+हिंदी)
शादी
ब्याह (फारसी+हिंदी)
5.प्रयोग
के आधार पर-
कुछ
शब्द हिंदी भाषा बोलने वाले प्रायः सभी व्यक्ति प्रयोग करते हैं, किंतु कुछ शब्दों का प्रयोग विषय-विशेष से सम्बंध रखने वाले व्यक्ति ही
करते हैं.
प्रयोग
के आधार पर शब्दों के प्रमुख तीन भेद होते हैं-
क.सामान्य
शब्दावली के शब्द
ख.तकनीकी
शब्दावली के शब्द
ग.अर्धतकनीकी
शब्दावली के शब्द
क.सामान्य
शब्दावली के शब्द-
सामान्य
शब्दावली वह शब्दावली है जिसका प्रयोग हिंदी भाषा बोलने वाले प्रायः सभी व्यक्ति
करते हैं. शरीर के अंगों के नाम, शारीरिक क्रियायें, खान-पान, रहन-सहन
की वस्तुयें और क्रियायें, अति परिचित जीव और वनस्पति,
पारिवारिक सम्बंध और अन्यान्य क्रियायें, सामान्य
सामाजिक-राजनीतिक-धार्मिक जीवन के शब्द, बाजार-आवागमन-संचार
के बहुप्रचलित साधन, व्यक्ति और प्रक्रियायें, आदि इसी कोटि में आते हैं; क्योंकि इनका प्रयोग
छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े,
साधारण-शिष्ट, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित सभी करते हैं.
उदाहरण-
माँ-बाप
हाथ-पैर
सूरज-चंद्रमा
फल-फूल
पक्षी-पशु
ख.तकनीकी
शब्दावली के शब्द-
ज्ञान-विज्ञान
के विविध क्षेत्रों के पारिभाषिक शब्द तकनीकी शब्द कहलते हैं. जिनका प्रयोग
क्षेत्र विशेष से सम्बंधित व्यक्ति ही करते हैं. प्रशासन, बैंक, न्याय, चिकित्सा,
प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में ऐसे शब्द बहुतायत में मिलते हैं;
जैसे- आयोग, कनिष्ठ, पदोन्नति,
सीमा शुल्क, जीवाणु प्रतिरोधक, आदि. वर्ग, त्रिज्या, रेखा,
समकोण, आदि शब्द गणित विषय से सम्बंधित हैं.
ऐसे ही संधि, समास, उपमा, रुपक, दोहा, रस, आदि शब्द साहित्य व्याकरण से सम्बंधित हैं.
ग.अर्धतकनीकी
शब्दावली के शब्द-
अर्ध
तकनीकी शब्दावली के अंतर्गत ऐसे शब्द आते हैं जिनका प्रयोग सामान्य व्यक्ति भी
करता है और विषय से सम्बंधित विशेषज्ञ भी, किंतु अंतर यह
होता है कि सामान्य व्यक्ति उन शब्दों का सामान्य अर्थ ही ग्रहण करता है जबकि
विशेषज्ञ उसी शब्द का पारिभाषिक व सटीक अर्थ ग्रहण करता है. जैसे- किसी रचना को
पढ़कर सामान्य व्यक्ति भी रस(आनंद) लेता है और साहित्यकार व साहित्यशास्त्री भी,
किंतु दोनों में अंतर होता है. अर्धसैनिक बल(बी0एस0एफ0) बल(फोर्स)
आम आदमी के बल से भिन्न है, यद्यपि दोनों में एक सीमा तक
समानता है.
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