माँ होती है जाँ बच्चों की
और पिता तुम माँ की जान।
माँ धरती, तुम आसमान हो
सन्तानें दोनों से पोषित।
देख फूलते-फलते हमको,
सद्य-सृष्टि भी होती
हर्षित।
माँ पर करती गर्व गृहस्थी
तुमसे यह घर स्वर्ग समान।
कल्पना रमानी
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