कर्मयोगी श्रीकृष्ण
कभी नंद की गायें चरायें,
कभी बजायें बाँसुरी वन में।
कभी सुदामा के पग धोयें,
कभी बने सारथि पार्थ के।
कर्मयोगी बनकर ही श्रीकृष्ण
कर्मयोगी बनकर ही श्रीकृष्ण
देते संदेश कर्म करने का।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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