Wednesday, March 13, 2019




श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी


डॉ. मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 1 दिसम्बर, सन् 1916 ई.
पुण्य-तिथि- 29 अगस्त, सन् 1998 ई.

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं विशेष रूप से बाल साहित्य के रचनाकार रहे हैं. आप पढ़ने के लिये इंग्लैंड गये, लेकिन आजीविका के लिये आपने भारत के शिक्षा क्षेत्र को चुना. आप उत्तर प्रदेश के शिक्षा सचिव थे. आपने अपने पद पर रहते हुये शिक्षा के व्यापक प्रसार व शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने के लिये अनथक प्रयास किये. आप शिक्षा ऩिदेशक व निदेशक साक्षरता के पदो पर भी कार्यरत रहे. आपने कई कवियों के वृत्त चित्र बनवाये जिनमें सूर्यकान्त त्रिपाठी जी पर बनवाया हुआ वृत्तचित्र अविस्मरणीय है. आपने आगरा हिन्दी केन्द्रीय संस्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान किया. आप भारत के अहिन्दी भाषी क्षेत्रों व विदेशों से आये छात्रों को हिन्दी भाषा व साहित्य का ज्ञान दिलाने में सदैव तत्पर रहते थे. आप जहाँ वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान करते थे वहीं उदीयमान साहित्यकारों को भी प्रोत्साहित करते थे.

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का समस्त साहित्य ही सरल व सुबोध भाषा में लिखा हुआ है, विशेष रूप से बाल साहित्य. बाल कवितायें बच्चे आसानी से कंठस्थ कर लेते हैं.
आपके कालजयी गीत हैं-
1.
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

हाथ में ध्वजा रहे, बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं, दल कभी रूके नहीं.
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!


सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं.
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

2.
हम सब सुमन एक उपवन के.

एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गये एक जल से हम.
पले हुये हैं झूल-झूला कर
पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के.

उपर्युक्त गीत को उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग ने अपने प्रचार पटों पर लिखवाया था. आपने बाल कवि सम्मेलन की भी शुरूआत की.


द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने क्रौंच-वध(खण्ड-काव्य) में जहाँ बसंत के मौसम में प्रकृति के सौन्दर्य व क्रौंच-क्रौंची की केलि क्रीड़ा का मनोहारी वर्णन किया है, वहीं क्रौंच-वध के बाद क्रौंची की पीड़ा का भी वर्णन किया है और बधिक को उपदेश देते हुये विश्व मानवता का भी संदेश दिया है. क्रौंच-वध के अतिरिक्त एक और खण्ड काव्य लिखा- सत्य की जीत. अन्य रचनायें हैं- कविता संग्रह- दीपक, ज्योति किरण, फूल और शूल, शूल की सेज, शंख और बाँसुरी. 26 पुस्तकें बाल साहित्य पर लिखीं, 5 पुस्तकें नव साक्षरों के लिये लिखीं, 3 कथा संग्रह लिखे व 3 शिक्षा सम्बन्धी पुस्तकें लिखी.

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