च.ध्वनि
अनुकरण द्वारा निर्मित शब्द-
प्रकृति
के कण-कण में लय है, ध्वनि है. पत्ते भी हिलते हैं तो
सरगम सी बजती है, नदी का जल कल-कल की ध्वनि करता है, झरनों का जल झर-झर कर बहता है. हर पशु-पक्षी की अपनी बोली है. इन्हीं ध्वनियों
के अनुकरण से कुछ शब्द निर्मित होते हैं, जो ध्वनि अनुकरण से
निर्मित शब्द कहलाते हैं.
उदाहरण-
वस्तु ध्वनि
घड़ी टिक-टिक
घंटी टन टन
धनुष टंकार
डमरु डम डम
चूड़ियाँ खन खन
पैसे खन खन
झाँझर झन झन
जीव बोली ध्वनि
घोड़ा हिनहिनाना
गाय रँभाना
कोयल कुहू-कुहू
मुर्गा कुकड़ूँ-कूँ
चिड़िया चहचहाना
बच्चा किलकारना
2.अर्थ
के आधार पर-
विविध
प्रकार से निर्मित शब्दों के विविध अर्थ होते हैं. कभी एक शब्द का एक ही अर्थ होता
है तो कभी एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं, जिनका प्रयोग
प्रसंग के अनुकूल अलग-अलग किया जाता है. कभी एक अर्थ के लिये अनेक शब्द होते हैं
तो कभी लगभग एक से दिखने वाले दो शब्द सूक्ष्म अंतर के द्वारा विपरीत अर्थ रखते
हैं. शब्दों के इन्हीं अर्थ रुपों को आधार बनाकर शब्दों के निम्नलिखित भेद किये गये
हैं-
क.
एकार्थक शब्द
ख.
अनेकार्थक शब्द
ग.
पर्यायवाची शब्द
घ.
विलोम शब्द
ङ.
समरुपी भिन्नार्थक शब्द
च.
अर्थ साम्य, किंतु मूल में सूक्ष्म अंतर वाले शब्द
छ.
शब्द-समूह वाचक शब्द
क.एकार्थक
शब्द-
जिन
शब्दों का अर्थ सभी परिस्थितियों में एक ही रहता है उन्हें एकार्थक शब्द कहते हैं.
उदाहरण-
शब्द अर्थ
अनुराग प्रेम
छात्र विद्यार्थी
कृति रचना
तरुणी युवती
सम्राट राजा
ख.अनेकार्थक
शब्द-
जब
एक शब्द के भिन्न परिस्थितियों में भिन्न अर्थ निकलते हैं तो ऐसे शब्दों को
अनेकार्थी शब्द कहते हैं. जैसे- ‘नव’ शब्द
के दो अर्थ हैं, ‘नौ’ और ‘नया’. जब ‘नव’ शब्द ‘ग्रह’ और ‘रत्न’ शब्दों से पहले आता है तो ‘नौ’ की संख्या का अर्थ देता है अर्थात ‘नवग्रह’, ‘नवरत्न’ और जब ‘नव’ शब्द ‘वर्ष’ और ‘परिधान’ शब्द से पहले आता
है, तो ‘नया’ शब्द
का अर्थ देता है अर्थात ‘नववर्ष’, नव
परिधान’. ऐसे ही ‘कल’ शब्द बीते हुये कल के लिये भी प्रयोग होता है और आने वाले कल के लिये भी,
साथ ही ‘मशीन’ के लिये
भी प्रयुक्त होता है.
उदाहरण-
शब्द अनेक अर्थ
अम्बर वस्त्र, आकाश, कपास
अपेक्षा आवश्यकता,तुलना में, आशा के अर्थ में
अब्ज शंख, कमल, कपूर, चंद्रमा
अब्धि समुद्र, सरोवर
कनक सोना, धतूरा, गेहूँ
आम एक फल, सामान्य, मामूली
कुल सब, वंश
ग.पर्यायवाची
शब्द-
एक
ही अर्थ को प्रकट करने वाले एक से अधिक शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं. अर्थ में
समानता होते हुये भी पर्यायवाची शब्द हमेशा एक दूसरे का स्थान नहीं ले सकते; जैसे नदी के ‘जल’ को ‘जल’ ही कहा जायेगा, उसका
पर्यायवाची शब्द ‘पानी’ नहीं; ऐसे ही सुबह के सूरज को ही ‘अरुण’ कहा जायेगा, दोपहर या शाम के सूरज को नहीं. जबकि ‘अरुण’ सूरज का पर्यायवाची शब्द है. पर्यायवाची
शब्दों में से किसी एक का प्रसंगवश चयन करना अनिवार्य होता है.
उदाहरण-
शब्द पर्यायवाची शब्द
अमृत पीयूष, सुधा, अमिय, मधु, सोमरस
अरण्य वन, कानन,
विपिन, जंगल
अग्नि अनल, पावक, आग
आकाश नभ, गगन, व्योम, अम्बर
पक्षी विहंग, खग, पखेरु, परिंदा
किरण रश्मि, कर,
अंशु, मारिचि
गंगा भागीरथी, जाह्नवी, सुर सरिता, त्रिपथगा
लक्ष्मी कमला, रमा,
पद्मा, श्री, हरिप्रिया
घ.विलोम शब्द-
विलोम
का शाब्दिक अर्थ है उल्टा या विपरीत, जो शब्द परस्पर
प्रतिकूल या विपरीत अर्थ रखते हैं वे विलोम शब्द कहलाते हैं. कुछ शब्द उपसर्ग
परिवर्तन से ही विपरीत अर्थ का बोध कराते हैं तो कुछ प्रत्यय परिवर्तन से. कुछ
विलोम शब्दों के रुपों में सूक्ष्म अंतर होता है तो कुछरुपाकार में बिल्कुल ही
भिन्न होते हैं.
इसी आधार पर विलोम शब्दों के निम्नलिखित भेद
हैं-
1.उपसर्ग
परिवर्तन द्वारा निर्मित विलोम शब्द
2.उपसर्ग-प्रयोग
द्वारा निर्मित विलोम शब्द
3.प्रत्यय-प्रयोग
द्वारा निर्मित विलोम शब्द
4.
भिन्न रुपाकार के विलोम शब्द
5.युग्मीय
विलोम शब्द
1.उपसर्ग
परिवर्तन द्वारा निर्मित शब्द-
शब्द विलोम शब्द
अनुकूल प्रतिकूल
सरस नीरस
संयोग वियोग
आदान प्रदान
सुमति कुमति
2.उपसर्ग-प्रयोग द्वारा निर्मित शब्द-
आशा निराशा
देश विदेश
गमन आगमन
आधार निराधार
योग वियोग
3.प्रत्यय-प्रयोग द्वारा निर्मित विलोम शब्द-
किशोर किशोरी
नाना नानी
चाचा चाची
नर नारी
4,भिन्न रुपाकार के विलोम शब्द-
आय व्यय
अंधकार प्रकाश
उदय अस्त
नूतन पुरातन
57.
5.युग्मीय
विलोम शब्द-
सुख-दुख
पाप-पुण्य
अपना-पराया
अब-तब
दिन-रात
ड़.
समरुपी भिन्नार्थक शब्द-
कुछ शब्द
उच्चारण की दृष्टि से समान प्रतीत होते हैं, किंतु उनका अर्थ
एक दूसरे से पूर्णतः भिन्न होता है; जैसे- ‘अचल’ शब्द का अर्थ है ‘पर्वत’ और ‘अचला’ का अर्थ है ‘पृथ्वी’. ‘अचल’ और ‘अचला’ शब्द उच्चारण की दृष्टि से एक से लगते हैं
किंतु दोनों के अर्थ ना तो एक समान हैं ना ही एक दूसरे के विपरीत हैं; वरन सर्वथा भिन्न हैं. ऐसे ही ‘अनल’, ‘अनिल’ शब्द लगभग एक से लगते हैं लेकिन दोनों के अर्थ
भिन्न हैं. ‘अनल’ का अर्थ है ‘अग्नि’ और ‘अनिल’ का ‘वायु’.
उदाहरण-
तरणी(नौका) तरुणी(युवती)
आदि(आरम्भ) आदी(अभ्यस्त)
विषमय(जहरीला) विस्मय(अचम्भा)
याम(प्रहर) यामा(रात्रि)
सुत(पुत्र) सूत(सारथि, कता हुआ धागा)
च.अर्थ
साम्य, किंतु मूल में सूक्ष्म अंतर वाले
शब्द-
कुछ शब्द
ऐसे होते हैं जो देखने और सुनने में समान अर्थ प्रकट करते हैं, पर उनमें परस्पर पर्याप्त अंतर होता है; जैसे ‘अस्त्र’, ‘शस्त्र’ दोनों
शब्दों का अर्थ हथियार है, किंतु दोनों में सूक्ष्म अंतर है.
जहाँ ‘अस्त्र’ फेंक कर चलाये जाने वाले
हथियार को कहते हैं जैसे- 'तीर' वहीं शस्त्र हाथ में लेकर
चलाये जाने वाले हथियार को कहते हैं जैसे- तलवार. कभी-कभी दो से अधिक शब्द लगभग एक
सा अर्थ प्रकट करते हैं, किंतु उनमें सूक्ष्म अंतर होता है.
उदाहरण-
आलोचना किसी वस्तु या विषय को समग्र रुप से
देखकर ,
दोष देखना.
समालोचना किसी वस्तु या विषय के गुण-दोष दोनों
देखना.
समीक्षा किसी वस्तु या विषय को सम्यक रुप से
देखना
प्रसन्नता कार्य की सफलता पर मन का खिलना
हर्ष मन के खिलने के साथ-साथ रोमांचित
भी होना
उल्लास प्रसन्नता की तीव्रता में उठना
आनंद अंतःकरण की सुखद अनुभूति
छ.शब्द-समूह
वाचक शब्द-
जब एक ही
शब्द से किसी शब्द-समूह का अर्थ निकले या उसका विस्तृत अर्थ प्रकट हो तो वह समूह
वाचक शब्द कहलात है; जैसे- ‘अजेय’
शब्द से अभिप्राय है ‘जो जीता ना सके’.
यहाँ पाँच शब्दों की जगह एक शब्द का प्रयोग हुआ है. संपादन और
संक्षेपीकरण में इन शब्दों से बहुत सहायता मिलती है. इन से रचना में सुंदरता भी
आती है.
उदाहरण-
शब्द-समूह वाचक शब्द
सब के
अंतःकरण की बात जानने वाला अंतर्यामी
जिस पद
के लिये वेतन न लिया जाये अवैतनिक
वृक्ष व
लताओं से घिरा स्थान कुंज
दूसरों
की भलाई करने वाला परोपकारी
आकाश में
उड़ने वाले पक्षी खग क्रमशः
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