हिन्दी साहित्य
Sunday, March 10, 2019
इच्छाओं की चादर उसने क्यूँ फैला दी आँगन में
हम तो लेकिन सारी खुशियाँ बस मुट्ठी भर लाए हैं।
-अजीज आजाद
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