पता है----
बारिश रोज लिखती है
तुम्हार नाम
हरे पत्तों पर,
कोमल पंखुड़ियों पर,
खुशी से नाचते
नन्हें पौधों पर,
सोंधी मिट्टी पर,
यहाँ तक कि
मेरे चेहरे पर-----।
और----भीग जाता है
ह्रदय मेरा,
सावन तो,
दूर से बस
मुस्कराता ही रहता है।
पवन कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment