ये तुम्हारे प्यार की तासीर थी,
कि जून की तपती धूप में भी,
खिलता रहा सुर्ख लाल गुलाब,
तुमहारी चाहतों की तरह मुरझाया नहीं।
डॉ.मंजूश्री गर्ग
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