Tuesday, June 28, 2022



ये तुम्हारे प्यार की तासीर थी,

कि जून की तपती धूप में भी,

खिलता रहा सुर्ख लाल गुलाब,

तुमहारी चाहतों की तरह मुरझाया नहीं।



डॉ.मंजूश्री गर्ग 

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