Tuesday, June 7, 2022

 

अप्रतिम रूप सौंदर्य की मल्लिका

लौह जैसा हूँ मैं और पारस हो तुम

बेरूखी में तुम्हारी बिखर जाऊँगा

मुझको छू लोगी तुम तो निखर जाऊँगा।


                      राज शुक्ल नम्र

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