नींव के पत्थर
(डॉ0 मंजूश्री गर्ग)
हर कोई बेताब मीनार बनने को
नींव के पत्थर कहीं पाये नहीं जाते.
आखिर कॅयू?
क्योंकि भूल गये हम
सदियों पुरानी परम्परा
नींव रखने की.
नींव के प्रथम पत्थर को, कलावे से
बॉधना
साथ में हल्दी की गॉठ, सुपारी का रखना.
औ’ करना उससे प्रार्थना कि दे मजबूती मीनार
को.
लड्डुओं का भोग लगाना और
मित्र परिवार में बॉटना.
मीनार के हर पत्थर से ज्यादा
देना सम्मान
नींव के पत्थर को.
थोडा सा पाकर सम्मान नींव के
पत्थर
अंधेरे में गुम रहकर भी
सदियों तक
थामें रहते हैं मीनार को औ’ देते हैं स्थिरता.
भूकम्प के झटके हों या झंझा,तूफान
मीनार से पहले सहते हैं
‘नींव के पत्थर’
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