Tuesday, February 14, 2017


गजल

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

यूँ ही हमराहियों के साये में, सफर गुजर जायेगा।
कुछ मुस्कुराते, कुछ गुनगुनाते, सफर गुजर जायेगा।।

हर शहर, हर डगर में, अँधेरा ही अँधेरा है।
हाथ में चिराग थामे रहिये, सफर गुजर जायेगा।।

हर छोटी-बड़ी चीज के भाव बढ़ रहे हैं।
कम होंगे आशा बाँधे रहिये, सफर गुजर जायेगा।।

आप नहीं आयेंगे, ये हमको मालूम है।
झूठे ही सही पैगाम भेजते रहिये, सफर गुजर जायेगा।।

पतवार खो गयी है, मँझधार में कहीं।
हिम्मत बाँधे रहिये, सफर गुजर जायेगा।।
------------

No comments:

Post a Comment