Thursday, February 23, 2017

समय की दहलीज पर
जला दो आज चिरागें।
रोशन हो जायेंगी
आने वाली राहें अँधेरी।

     डॉ0 मंजूश्री गर्ग



नदिया ही आयेगी, कब सागर आयेगा।
है मान उसमें भी, बिन बुलाये तो न आयेगी।।

   डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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