Friday, February 24, 2017


झूठे ख्बाब दिखा रहे हो
हमको तुम बहला रहे हो।
गहरे पानी में क्या?
कागज की किश्ती चला रहे हो।

         डॉ0 मंजूश्री गर्ग












No comments:

Post a Comment