Monday, February 27, 2017



बहने दो स्नेह की सहज, सरस, मधुर धारा।
सिंचित हो जिससे महके जीवन की बगिया।।
                डॉ0 मंजूश्री गर्ग

तुम आये तो जीवन की राह नजर आई,
अँधेरे में उजाले की ज्यों किरण नजर आई।
                डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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