उदासी के किले में तुम कभी
भी कैद मत होना,
हमारी याद आये जब तभी तुम
मुस्करा लेना।
नित्यानंद तुषार
दीप में कितनी जलन है, धूप
में कितनी तपन है।
यह बताएंगे तुम्हें वे,
जिन्दगी जिनकी हवन है।
वीरेन्द्र मिश्र
जिन्दगानी दो निगाहों में
सिमटती जा रही है,
प्यास बढ़ती जा रही है,
उम्र घटती जा रही है।
वीरेन्द्र मिश्र
अमिय हलाहल मद भरे, श्वेत
श्याम रतनार।
जियत मरत झुकि-झुकि परत
जेहि चितवत इक बार।
रसलीन
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