Saturday, June 17, 2017



सरदार पटेल

डॉ0 मंजूश्री गर्ग



सरदार पटेल का जन्म 21 अक्टूबर, सन् 1875 ई0 को गुजरात में हुआ था. इनका नाम वल्लभभाई पटेल रखा गया. इनके पिता का नाम ज्वेरभाई था. व्यवसाय से किसान होते हुये भी ज्वेरभाई सच्चे देशभक्त थे. सन् 1857 ई0 के स्वतन्त्रता संग्राम के समय अपना हल और फावड़ा फेंक रानी झाँसी के पास युद्ध में शामिल होने के लिये चले गये थे. वल्लभाई पटेल के बड़े भाई का नाम विट्ठलभाई पटेल था. माता धार्मिक विचारों वाली थीं.

सरदार पटेल बचपन से ही सहनशील थे. एक दिन इनके पिता हल चला रहे थे, तो सरदार पटेल उनके पीछे काम करते हुये अपने पहाड़े(Tables) याद कर रहे थे कि उनके पैर में डाब का काँटा चुभ गया और उन्हें पता ही नहीं चला. पीछे मुड़कर जब ज्वेरभाई ने उनके पैर से रक्त निकलते देखा, तो वह पुत्र की दृढ़ता और सहनशीलता देखकर दंग रह गये और उन्हे बड़ा आदमी बनने का आशीर्वाद दिया. किंतु वल्लभाई ने अन्याय को कभी भी सहन नहीं किया. बचपन से ही स्कूल में अपने या अपने किसी साथी के साथ अन्याय होता था, तो ये हड़ताल करके अपना विरोध प्रकट करते थे. इसी से इनके साथी उनको सरदार कहते थे.  
    
 सरदार पटेल की प्रारम्भिक शिक्षा गुजरात में ही हुई. इनका विलायत जाकर बैरिस्टर बनने की बहुत इच्छा थी, किन्तु धनाभाव के कारण सम्भव नहीं हो पाया. अपने मित्र काशीभाई के यहाँ रहते हुये मुख्तारी पास की और गोधरा में ही वकालत करने लगे. एक दिन मुकदमें की सुनवाई के दौरान इन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु का तार मिला और इन्होंने पढ़कर चुपचाप जेब में रख लिया, अदालत समाप्त होने पर ही तार के बारे में बताया. सरदार पटेल ने बहुत से प्रसिद्ध मुकदमे जीत कर अपनी तीव्र बुद्धि और कार्य करने की योग्यता का परिचय दिया. काफी धन कमाकर 10 अगस्त सन् 1909 ई0 में बैरिस्टरी पढ़ने के लिये विलायत रवाना हुये. प्रथम श्रेणी मे बैरिस्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण कर 23 फरवरी, सन् 1913 ई0 को बम्बई आ गये और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की. यहीं पर इनकी भेंट गाँधीजी से हुई और सरदार पटेल ने अपना राजनैतिक जीवन गोधरा से बेगार प्रथा समाप्त करने प्रयास से शुरू की.

सन् 1916 ई0 में सरदार पटेल ने वकालत छोड़ दी और गाँधीजी के साथ मिलकर उनके प्रत्येक आन्दोलन में भाग लेने लगे. खेड़ा सत्याग्रह, काला कानून, बारडोली सत्याग्रह सभी का सफलता पूर्वक नेतृत्व किया. 7 मार्च, 1930 ई0 को नमक कानून तोड़ने के अपराध में बंदी बनाये गये. 22 जून 1930 ई0 को जेल से रिहा हुये. मार्च सन् 1931 ई0 में कांग्रेस अधिवेशन(कराची) का अध्यक्ष बनाया गया. सन् 1937 ई0 के चुनावों में कांग्रेस को आठ प्रान्तों में विजय हासिल हुई. इन प्रान्तों का राजप्रबन्ध अपने हाथों में लेकर कांग्रेस ने अपना मंत्रिमंडल बनाया, जिसका नेतृत्व सरदार पटेल ने किया. सन् 1942 ई0 मे भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान सरदार पटेल बंदी बनाये गये. सन् 1945 ई0 मे द्वितीय विश्व-युद्ध के समाप्त होने पर रिहा कर दिये गये.

15 अगस्त 1947 ई0 को स्वतन्त्रता मिलने पर सरदार पटेल  केन्द्रीय राष्ट्रीय सरकार के उपप्रधानमंत्री बने. अपने पद पर रहते हुये सरदार पटेल ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है रियासतों का एकीकरण. अंग्रेज भारत छोड़ते समय 600 रियासतों को स्वतंत्र छोड़ गये थे. सरदार पटेल  ने अपनी दूरदर्शिता से नरेशों से बात कर छोटी-बड़ी रियासतों को भारत में शामिल होने के लिये राजी कर लिया. हैदराबाद के नरेश ने शामिल होने से मना कर दिया. सरदार पटेल ने तुरन्त भारतीय फौज की मदद से हैदराबाद की रियासत को भारत में शामिल कर लिया. कश्मीर की समस्या कुछ बड़े नेताओं के कारण हल न हो सकी.

15 दिसम्बर 1950 ई0 को ह्रदय रोग का दौरा पड़ने के कारण सरदार पटेल
की मृत्यु हो गयी. सरदार पटेल का जीवन हमारे देश के नवयुवकों के लिये सदैव अनुकरणीय व प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.


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