गजल
बशीर बद्र
अजब मौसम है, मेरे हर कदम पे फूल रखता है,
मुहब्बत में मुहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है.
मैं जब सो जाऊँ, इन आखों पे अपने होंठ रख देना,
यकीं आ जायेगा, पलकों तले भी दिल धड़कता है.
हर आँसू में अक्सर कोई तस्वीर झिलमिलाती है,
तुम्हें आँखें बतायेंगी, दिलों में कौन जलता है
बहुत से काम रूक जाते हैं मैं बाहर नहीं जाता,
तुम्हारी याद का मौसम कहाँ टाले से टलता है.
मुहब्बत गम की बारिश है, जमीं सर-सब्ज होती है,
बहुत से फूल खिलते हैं, जहाँ बादल बरसता है.
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