चुम्बन
रामधारी सिंह दिनकर
सब तुमने कह दिया, मगर, यह चुम्बन क्या है?
"प्यार तुम्हें करता हूँ मैं,"( इसमें जो "मैं" है,
चुम्बन उस पर मधुर, गुलाबी अनुस्वार है.
चुम्बन है वह गूढ़ भेद मन का, जिसको मुख
श्रुतियों से बचकर सीधे मुख से कहता है.
फूलों के दिन में पौधौं को प्यार सभी जन करते हैं
मैं तो तब जानूँगी जब पतझर में भी तुम प्यार करो.
जब ये केश श्वेत हो जायें और गाल मुरझाए हों,
बड़ी बात हो रसमय चुम्बन से तब भी सत्कार करो.
--------------
--
No comments:
Post a Comment