Thursday, June 15, 2017



अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण के अंश



हम लड़ाई के मैदान में कभी नहीं हारे, हम हरदम दिल्ली के दरबार में हारे हैं. हम युद्ध में कभी नहीं हारे, हम शांति में हारे हैं. हम संघर्ष में कभी नहीं हारे, हम संधि में हारे हैं.
              राज्यसभा में - 3 मई, सन् 1965 ई0

जो युद्ध से भागता है, युद्ध उसके पीछे भागता है. आक्रमणकारी के सामने समर्पण करने से उसकी भूख बढ़ती है. शान्ति कायम करने का एक तरीका चैम्बरले का है जो भूमि देकर हिटलर को सन्तुष्ट करना चाहता था, मगर जिसने विश्व के महायुद्ध की नींव डाल दी. शान्ति कायम करने का दूसरा तरीका कैनेडी का है जिसने अपनी सीमा से 90 मील दूर क्यूबा में रूस के हथियारों को अपने राष्ट्र के लिये चुनौती समझा और रूस को मजबूर कर दिया कि वह हथियारों को वापस ले जाये. उससे शान्ति आ गई और युद्ध टल गया. पाकिस्तान से किये समझौते युद्ध निकट लाते हैं, पाकिस्तान की आक्रामक प्रवृत्तियों को बढ़ाते हैं और इसीलिये कहीं न कहीं लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी और आज वह समय आ गया है.

राज्यसभा में – 19 अगस्त, सन् 1965 ई0

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