डॉ0 मंजूश्री गर्ग
भारत तीर्थ यात्राओं का देश है इसमें से एक अमरनाथ यात्रा है जो आस्था का आयाम
और श्रद्धा का केन्द्र है. समुद्र तल से सोलह हजार फुट की ऊँचाई पर पर्वत श्रंखला
लिद्दर घाटी के अन्तिम छोर पर संकरे दर्रे में स्थित बाबा अमरनाथ की गुफा लगभग 100
फुट लम्बी, 150 फुट चौड़ी व 15 फुट ऊँची प्राकृतिक गुफा है. जिसमें हिम पीठ पर हिम
निर्मित प्राकृतिक शिवलिंग है. यह प्राकृतिक शिवलिंग कभी-कभी सात-आठ फुट तक ऊँचा
बन जाता है. अमरनाथ गुफा में एक गणेश पीठ और एक पार्वती पीठ भी हिम से बनते हैं.
कहा जाता है कि पार्वती पीठ इक्यावन शक्ति पीठ मे से एक है. यहाँ सती का कंठ गिरा
था. हिमलिंग और लिंग पीठ अर्थात् हिम चबूतरा ठोस पक्की बर्फ का होता है जबकि बाहर
मीलों कच्ची बर्फ ही होती है. गुफा में जहाँ-तहाँ बूँद-बूँद करके जल टपकता रहत है
और एक स्थान से भस्म जैसी मिट्टी निकलती है जिसे भक्त प्रसाद-रूप में ग्रहण करते
हैं.
अमरनाथ गुफा में एक कबूतरों का जोड़ा रहता है. कभी-कभी ये प्रत्यक्ष रूप से
दिखाई देते हैं, आवाज तो प्रायः सुनाई देती ही है. दंत कथा है कि जब शिवजी
पार्वतीजी को अमरकथा सुना रहे थे तो कबूतरों का यह जोड़ा अमरकथा सुन रहा था. तभी
से इस गुफा में कबूतरों के जोड़े का एहसास होता है.
अषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र छड़ी मुबारक यात्रा
प्रारम्भ होती है. आतंकवादियों की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के कारण छड़ी मुबारक
यात्रा निकलने के स्थान में परिवर्तन होता रहा है. छड़ी मुबारक पहले अमृतसर से
बाबा अमरनाथ की गुफा में संतों के साथ श्रावण पूर्णिमा के दिन पहुँचती थी. बाद में
यह श्रीनगर से जाने लगी किन्तु अब जम्मू के श्री रघुनाथ मन्दिर से जाती है. रक्षा
बन्धन के दिन अमरनाथ गुफा में शिवलिंग की
पूजा अर्चना धर्म विधान के अनुसार होती है.
पहलगाँव से अमरनाथ गुफा की दूरी 48 कि0 मी0 है. श्रीनगर से पहलगाँव होकर 142
कि0 मी0 का रास्ता तय करना पड़ता है. पहले दिन की यात्रा 16 कि0 मी0 दूर
चन्दनबाड़ी पर जाकर विश्राम करती है. यहाँ पैदल और गाड़ियों से जाया जा सकता है.
2895 मी0 ऊँचाई पर स्थित
चन्दनबाड़ी विश्राम की व्यवस्था है. अमरनाथ यात्रा पर जाते समय चन्दनबाड़ी, शेषनाग
और पंचतारिणी में तीन रातों और वापसी में पंचतारिणी व शेषनाग में दो रातें गुजारनी
पड़ती हैं. चंदनबाड़ी से दो कि0 मी0 दूर पिस्सू टॉप की चढ़ाई शुरू हो जाती है.
अंग्रेज के ‘Z’ अक्षर की तरह ऊपर को रास्ता गया है. नौ कि0 मी0 आगे शेषनाग झील है. इस झील के
तट पर यात्री क़ॉलोनी बस जाती है. यहाँ का नैसर्गिक सौन्दर्य भी दर्शनीय है. झील
आकार में छोटी है, जल का रंग हरा-नीला है. चारों ओर तुषाराच्छित पहाड़ियों ने
नैसर्गिक परिवेश को और भी मनोरम बना दिया है.
तीसरे दिन की यात्रा का विश्राम 8 कि0 मी0 दूर
10,200 फुट की ऊँचाई पर पंचतरणी में है, यहाँ पाँच पहाड़ी नदियों का संगम है. चौथे
दिन अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू होती है. रास्ते की दूरी 6 कि0 मी0 है, 13,500 फुट
की ऊँचाई पर यात्रा का अंतिम पड़ाव है. यहाँ अमरावती प्रवाहमान है जो अमर गंगा में
जाकर मिलती है. इसमें स्नान करके यात्री पवित्र गुफा में जाकर हिम शिव लिंग के
दर्शन करते हैं.
No comments:
Post a Comment