चंदो जीजी(संस्मरण)
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
चंदो जीजी बड़ी जीजी की सहेली थीं. उच्चमध्यवर्गीय परिवार की होते हुये भी
उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. जीजाजी टाइपिस्ट थे. रोज सुबह नियम से
साइकिल पर टाइपराइटर लेकर कचहरी जाना और शाम को दैनिक आय के साथ घर वापस आना, घर
का खर्चा मुश्किल से चल पाता था.
जीजी ने सिलाई का कोर्स किया हुआ था लेकिन सत्तर के दशक में उच्चमध्यवर्गीय
परिवारों की महिलाओं का व्यवसाय के लिये घर से बाहर जाना उचित नहीं समझा जाता था
और ना ही उस समय बुटीक, आदि खोलने का चलन था. अतः जीजी कम आय में ही अपने तीनों
बच्चों के साथ सद्गृहिणी का उदाहरण देते हुये पति के साथ प्रसन्नतापूर्वक रहती
थीं. उनके तीन बच्चे थे. बड़ी लड़की मूक और बधिर थी, लेकिन जीजी ने कुशलतापूर्वक
उसे गृहकार्यों में पूर्ण दक्ष किया हुआ था. वो भी अपने छोटे भाई-बहनों को बहुत
प्यार करती थी. घर के सभी सदस्यों के साथ ही नहीं, आस-पास के परिवारों के साथ भी
हँस-मिलकर रहती थी.
बुलन्दशहर में बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करने का सबसे बड़ा समय ‘जिला प्रदर्शनी’ का होता था. जीजी भी अपनी
सामर्थ्य के अनुसार अपने व अपने बच्चों के शौक उस समय पूरे करती थीं.
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