Friday, June 16, 2017


कवि प्रदीप

डॉ0 मंजूश्री गर्ग



कवि प्रदीप का जन्म 6 फरवरी सन् 1915 ई0 को हुआ था. कवि प्रदीप का मूल नाम रामचन्द्र नारायण द्विवेदी था. कवि प्रदीप बचपन से ही कविता लिखने में रूचि रखते थे और कवि सम्मेलनों में कविता पाठ किया करते थे. बाद में कवि प्रदीप मुम्बई आ गये और फिल्मों के लिये गाने लिखने लगे. सन् 1939 ई0 में सर्वप्रथम फिल्म कंगन के लिये गाने लिखे. कवि प्रदीप गीतकार ही नहीं थे संगीतकार और गायक भी थे. फिल्म कंगन में आपने चार गीत लिखे थे जिनमें से तीन स्वयं गाये भी थे. कवि प्रदीप के देशभक्ति के गानों की आज भी धूम है---

1.     दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तां हमारा है.
2. आओ बच्चों तुम्हें दिखायें झाँकी हिन्दुस्तान की
3. ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आँख मे भर लो पानी
4. साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
कवि प्रदीप ने 85 फिल्मों और गैर फिल्मी गीतो को मिलाकर लगभग 500 गीतों की रचना की.

सन् 1961 ई0 में सर्वप्रथम डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने कवि प्रदीप को सर्वोत्तम फिल्मी गीतकार का एवार्ड दिया. इसके साथ ही पुरस्कारो का अनवरत सिलसिला शुरू हो गया. सन् 1995 ई0 में आई सी सी आर और सूचना प्रसारण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से राष्ट्र कवि का सम्मान दिया.

महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ने कवि प्रदीप के बारे में लिखा था, आज जितने कवियों का प्रकाश हिन्दी में फैला हुआ है, उनमें से कवि प्रदीप का दीपक अत्यन्त उज्जवल और स्निग्ध है. हिन्दी के ह्रदय में कवि प्रदीप की रागिनी कोयल और पपीहे को परास्त कर चुकी है. मैं काव्य में जिन गुणों के लिये विरोधियों से वर्षों संघर्ष करता रहा हूँ, कवि प्रदीप ने अपनी रचना कुशलता और आवृत्ति से क्षणमात्र में उस धारा की पुष्टि कर दिखाई है.

स्वाधीनता की पचासवीं सालगिरह पर कवि प्रदीप को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया. 11 दिसम्बर सन् 1998 ई0 को ह्रदयस्पर्शी गीतों के रचनाकार कवि प्रदीप का निधन हो गया.














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