Saturday, May 19, 2018



यूँ ही नहीं बहकते
कदम हमारे
मदहोशी-सी
छाई है हवा में आज।
शायद तुमसे मिल के
आई है पवन आज।

     डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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