एक नदी को सर्वप्रथम स्वयं
भीगना होता है. तभी वह भूमि तर और वृक्षों को भिगोने की सामर्थ्य रख सकती है. एक
कवि को अग्नि में जलकर राख होना पड़ता है. तभी वह फीनिक्स पक्षी की तरह अपनी ही
राख से पुनर्जन्म लेता है.
एकान्त श्रीवास्तव
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