मूर्तियाँ तो बनती हैं और टूट जाती हैं, लेकिन व्यक्ति जो अपने पुरूषार्थ से अपना व्यक्तित्व बनाता है वो युगों-युगों तक अमर रहता है।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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