Thursday, February 13, 2025


  खिलते कमल पर जैसे ओस की बूँद,

रंगोली पर सजे जैसे जलते दिये,

काजू कतली पर जैसे चाँदी की वर्क,

तुम्हारे मुख पर सजे ऐसे ही मुस्कान।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

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