खिलते कमल पर जैसे ओस की बूँद,
रंगोली पर सजे जैसे जलते दिये,
काजू कतली पर जैसे चाँदी की वर्क,
तुम्हारे मुख पर सजे ऐसे ही मुस्कान।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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