नागार्जुन
डॉ. मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 30 जून, सन् 1911 ई.
पुण्य-तिथि- 5 नवम्बर, सन् 1998 ई.
नागार्जुन हिन्दी
साहित्य के प्रगतिशील विचारधारा के प्रमुख कवि और लेखक थे। नागार्जुन का असली नाम
वैद्यनाथ मिश्र था परन्तु हिन्दी साहित्य में इन्होंने नागार्जुन व मैथिली
में यात्री उपनाम से रचनायें रचीं। काशी में रहते हुये वैदेह उपनाम
से भी कवितायें रचीं। सन् 1936 ई. में सिंहल में विद्यालंकार परिवेण में नागार्जुन नाम ग्रहण
किया।
नागार्जुन ने बलचनमा
और वरूण के बेटे उपन्यासों से आंचलिक उपन्यासों की नींव रखी। इनको पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, बंगला, संस्कृत, मैथिली, अंग्रेजी, आदि निभिन्न
भाषाओं का ज्ञान था। नागार्जुन कालिदास के मेघदूत से जितने प्रभावित थे उतने ही
तुलसी और कबीर की संत पंरपरा के भी निकट थे। इन्होंने नेहरू, बर्तोल्त, निराला, लूशून से लेकर बिनोबा, मोरारजी, जेपी, लोहिया, केन्याता, एलिजाबेथ, आइजन हावर, आदि पर स्मरणीय और अत्यंत लोकप्रिय कवितायें लिखी हैं। ये बीसवीं सदी के जनकवि
होने के साथ-साथ अद्वितिय मौलिक बौद्धिक कवि भी थे।
नागार्जुन की प्रमुख रचनायें-
कविता-संग्रह- हजार-हजार बाँहों वाली, युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, तुमने कहा था, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने, आदि।
प्रबंध काव्य- भस्मांकुर, भूमिजा।
उपन्यास- रतिनाथ की चाची, नयी पौध, बलचनमा, बाबा बटेसरनाथ, दुख मोचन, कुंभीपाक, आदि।
बाल साहित्य- कथा मंजरी भाग-1, कथा मंजरी भाग-2, मर्यादा पुरूषोत्तम राम, विद्यापति की कहानियाँ।
इन्होंने अनुवाद
कार्य भी किया है।
नागार्जुन को समय-समय पर विविध पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जिनमें
प्रमुख हैं- साहित्य अकादमी पुरस्कार(1967), भारत-भारती सम्मान, राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार(पश्चिम बंगाल सरकार से), आदि।इनको साहित्य अकादमी की सर्वोच्च फैलोशिप से भी सम्मानित किया गया।
इन्दुमती के मृत्युशोक से
अज रोया या तुम रोये थे?
कालिदास! सच-सच बतलाना
वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिका
प्रथम दिवस आषाढ़ मास का
देख गगन में श्याम घन-घटा
विधुर यक्ष का मन जब उचटा
खड़े-खड़े तब हाथ जोड़कर
चित्रकूट से सुभग शिखर पर
उस बेचारे ने भेजा था
जिनके ही द्वारा संदेशा
उन पुष्करावर्त मेघों का
साथी बनकर उड़ने वाले
कालिदास! सच-सच बतलाना!
पर पीड़ा से पूर-पूर हो
थक-थककर औ' चूर-चूर हो
अमल-धवल गिरि के शिखरों पर
प्रियवर!तुम कब तक सोये थे?
रोया यक्ष कि तुम रोये थे?
कालिदास! सच-सच बतलाना।
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