नारी तो एक फूल..........
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
नारी तो एक फूल है
सौरभ बिखेरना है उसे।
चाहे जिस रंग में खिले।
चाहे जिस ढ़ंग में ढ़ले।
चाहे उगे कमल सी
चाहे पले गुलाब सी।
चाहे ले सौम्यता
बेला औ’ चमेली सी
चाहे ले उच्श्रृंखलता
गुलमोहर औ’ अमलतास सी।
चाहे निर्बल गुलमेंहदी सी
चाहे सबल गैंदे सी
चाहे झरे हरसिंगार सी
चाहे सजे मालती सी।
मुस्कान बिखेरना है उसे
नारी तो एक फूल है।
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