हिन्दी साहित्य
Saturday, December 30, 2017
चाँद ने बिखेरी है चाँदनी नये साल में,
सागर की लहरें कर रही नर्तन नये साल में।
नया साल लेकर आया खुशियाँ अपम्पार,
आओ
!
मिलकर मनायें उत्सव नये साल में।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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