हिन्दी साहित्य
Thursday, November 1, 2018
फूल से फूल मिलें,
फूल-मालायें बनें।
दीप से दीप मिलें,
दीप-मालायें सजें।
मन से मन मिलें,
मानवता फूले फले।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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