Saturday, November 10, 2018



हाइकु


तिनके गूँथ
अनुपम घोंसला
बया ने रचा।

नया सबेरा
रोशन होंगी राहें
चहके मन।

ऋतुयें वही
मिजाज बदलता
जैसा हो मन।

                    डॉ0 मंजूश्री गर्ग






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