हिन्दी साहित्य
Wednesday, November 28, 2018
तुम आये तो मुस्काया जहाँ सारा
बज उठी प्रीत की बाँसुरी।
अंग-अंग मुस्काया फूल सा।
तुम गये तो मुरझा गये हरे पात भी
पूर्णिमा की रात भी अब रात अँधेरी।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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