हिन्दी साहित्य
Tuesday, November 13, 2018
आओ
!
जी भर बात कर लें आज
न जाने ये पल कब आयें जीवन में।
राह तुम्हारी है कठिन
आसान हमारी भी नहीं।
मिलना ही है एक दिन हमको
मंजिल एक है दोनों की।
पर राहें अलग-अलग हैं।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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