हिन्दी साहित्य
Sunday, November 25, 2018
झूठे ख्बाब दिखा रहे हो,
हमको तुम बहला रहे हो।
गहरे पानी में क्या
?
कागज की किश्ती चला रहे हो।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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