गजल
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
धड़कन की तरह महसूस करो तुम,
मैं हूँ दिल की तरह तेरे तन में बसी हुई।
खुशबू की तरह महसूस करो तुम,
मैं हूँ फूल की तरह तेरे मन में खिली हुई।
झंकार की तरह महसूस करो तुम,
मैं हूँ घुंघरू की तरह तेरे पग में बँधी हुई।
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