हिन्दी साहित्य
Monday, November 5, 2018
दीवाली
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
तोरण सजे
देहरी सजी
सजी दीवाली।
घर-आँगन
छाया उजाला
घुली मिठास
बतासे सी।
मन में छूटें
फुलझड़ियाँ,
खिले अनार
खुशियों के।
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