हिन्दी साहित्य
Friday, January 11, 2019
दूर के सम्बन्ध की चर्चा चलाना व्यर्थ है
पास की पहचान भी गुमनाम होती है यहाँ।
-डॉ0 गिरिजानन्दन त्रिगुणायत
‘
आकुल
’
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