Thursday, January 31, 2019



विदाई बेटे की नहीं होती.......

विदाई बेटे की नहीं होती,
विदा तो बेटा भी होता है।
किशोर-वय में नन्हें सपने ले,
चला जाता है घर से।
बचपन के खिलौने छोड़,
कुछ किताबें, कुछ यादें संजो
चला जाता है घर से।

आता है कुछ काबिल बन कर
चाहता है अपने माँ-पिता,
भाई-बहन के लिये कुछ करना।
चाहतें बहुत हैं दिल में,
पर टूट जाते हैं सपने,
घर बसाने से पहले ही।
देखता है जब कि उससे
दूध का मोल ही नहीं माँगा जाता
प्रिया के हाथों की मेंहदी का भी
मोल चुकाना होता है।
विदाई बेटे की नहीं होती
विदा तो बेटा भी होता है।

                        डॉ0 मंजूश्री गर्ग

 ---------------------------
----------





No comments:

Post a Comment