हिन्दी साहित्य
Thursday, January 3, 2019
दो पल की खुशी के बदले,
मिला उम्र-भर का दर्द।
पर, वो दो पल भी,
कहाँ नसीब सबको होते।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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