हिन्दी साहित्य
Sunday, November 13, 2022
सुबह सुहानी धूप है, रात मधुर है चाँदनी।
प्रिय! मुस्कान तुम्हारी है जीवनदायिनी।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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