तुम्हीं कान्हा हो, कन्हैया हो तुम।
तुम्हीं नन्दलाला, वासुदेव हो तुम।
तुम्हीं माखनचोर, चितचोर हो तुम।
तुम्हीं बाँसुरी वादक, सुदर्शन चक्रधारी हो तुम।
गोपों संग ग्वाला, गोपियों की प्रीत हो तुम।
राधा के मनमीत, द्वारकाधीश रूक्मिणी के।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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