तेरी जुल्फों के साये में शामें सुहानी हैं,
हैं रोशन रातें तेरी ही मुस्कानों से।
बज उठते हैं जब तेरी यादों के घुँघरू
जिंदगी कई सरगमें सुनाती है हमें।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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