Monday, November 21, 2022

 

प्रत्येक व्यक्ति को उम्र-भर अपने बचपन की बातें याद आती रहती हैं. इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवियत्री ने प्रस्तुत पंक्तियों में की है-

बार-बार आती है मुझको

मधुर याद बचपन तेरी,

आ जा बचपन, एक बार फिर

दे दो अपनी निर्मल शान्ति

व्याकुल व्यथा मिटाने वाली

वह अपनी प्राकृत विश्रांति।

                   सुभद्रा कुमारी चौहान

 

 


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