प्रत्येक व्यक्ति को उम्र-भर अपने बचपन की बातें
याद आती रहती हैं. इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवियत्री ने प्रस्तुत पंक्तियों में
की है-
बार-बार आती है
मुझको
मधुर याद बचपन
तेरी,
आ जा बचपन, एक
बार फिर
दे दो अपनी
निर्मल शान्ति
व्याकुल व्यथा
मिटाने वाली
वह अपनी
प्राकृत विश्रांति।
सुभद्रा कुमारी चौहान
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