जब कवि का ह्रदय भाव-प्रवण होता है
अनुभूति का भी स्रोत गहन होता है
लहराने लगे बिन्दु में ही जब सिन्धु
वास्तव में वही सृजन का क्षण होता है।
उदयभानु हंस
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