चाँद से सुंदर मुख है
तुम्हारा।
सुना है जब से चाँद ने,
चाँद घटता जा रहा।
कोयल से मधुर है बोली
तुम्हारी।
सुना है जब से कोयल ने,
कोयल काली हो गयी।
अब ना और गुणगान करेंगे।
प्रकृति न जाने क्या से
क्या हो जायेगी।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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