हिन्दी साहित्य
Friday, June 1, 2018
हकीकत में ना सही
ख्बाबों में ही सही।
पल भर जी लेते हैं,
मुस्कुरा लेते हैं पल भर।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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