Friday, June 8, 2018



अति आधुनिक युग में जहाँ निम्न वर्गीय माँ-बाप आर्थिक मजबूरी के कारण अपने बच्चों का बचपन छीनकर उनसे बाल मजदूरी कराते हैं वहीं मध्यम वर्गीय और उच्च मध्यम वर्गीय माता-पिता अपने बच्चों को जल्दी से जल्दी अधिक होशियार बनाने के चक्कर में उनसे उनका बचपन छीन लेते हैं. इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में की है-

नन्हें बच्चों से कुँअर छीन के भोला बचपन
उनको हुशियार बनाने पे तुली है दुनिया।

                               कुअँर बेचैन

No comments:

Post a Comment