श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 16 अगस्त, सन् 1904 ई0
पुण्य-तिथि- 15 फरवरी, सन् 1948 ई0
श्रीमती सुभद्रा कुमारी
चौहान सुप्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका व स्वतंत्रता सेनानी थीं. आप बचपन से ही
कवितायें रचनें लगीं थीं. आपकी कविताओं में राष्ट्र-प्रेम की भावना भरी हुई है.
आपकी रचनायें कविता हो या कहानी बहुत ही सरल व ह्रदयग्राही भाषा में लिखी हुई हैं.
झाँसी की रानी व कदंब का पेड़ आपकी बहुचर्चित कवितायें हैं. आपने
सन् 1921 ई0 में गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया. असहयोग आंदोलन में भाग
लेने वाली आप प्रथम महिला थीं. असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको दो बार
जेल भी जाना पड़ा.
श्रीमती सुभद्रा कुमारी
चौहान की कविताओं में बच्चे आपस में खेल भी खेलते हैं तो स्वतंत्रता सेनानियों के
चरित्र अभिनीत करते हैं. उदाहरण-
सभा-सभा का खेल आज हम
खेलेंगे,
जीजी आओ मैं गाँधी जी, छोटे
नेहरू, तुम सरोजिनी बन जाओ।
मेरा तो सब काम लंगोटी गमछे
से चल जाएगा,
छोटे भी खद्दर का कुर्ता
पेटी से ले आएगा।
सुभद्रा कुमारी
चौहान
ऐसे ही खिलौने भी बच्चे वीर
चरित्र के अनुरूप खरीदते हैं-
वह देखो माँ आज
खिलौनेवाला फिर से आया है
कई तरह के सुंदर-सुंदर
नए खिलौने लाया है.
मैं तो तलवार खरीदूँगा माँ
या मैं लूँगा तीर-कमान
जंगल में जा, किसी ताड़का
को मारूँगा राम समान.
सुभद्राकुमारी चौहान
श्रीमती सुभद्रा कुमारी
चौहान के प्रमुख कविता संग्रह
हैं- त्रिधारा, मुकुल और कहानी संग्रह हैं- बिखरे मोती, उन्मादिनी,
सीधे-सादे चित्र.
भारतीय डाक तार विभाग ने 6
अगस्त, सन् 1976 ई0 में श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में डाक टिकट जारी
किया व भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रैल, सन् 2006 को श्रीमती सुभद्रा कुमारी
चौहान को सम्मानित करने के लिये नये नियुक्त एक तटरक्षक जहाज को सुभद्रा कुमारी
चौहान नाम दिया.
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