हिन्दी साहित्य
Sunday, September 16, 2018
सूरज ना होता,
सुबह ना होती,
ना जाने दिन कैसे होता
!
फूल ना होते,
गंध ना होती,
ना जाने उपवन कैसा होता
!
तुम ना होते,
प्यार ना होता,
ना जाने जीवन कैसा होता
!
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment