Thursday, September 6, 2018



समय बदलते देर नहीं लगती, उम्र के साथ-साथ रिश्तों में पहले जैसा प्यार व अपनापन नहीं रहता. हर रिश्ते की अपनी मजबूरियाँ होती हैं. देखते ही देखते बच्चे बड़े हो जाते हैं उनका विवाह हो जाता है. विवाह के बाद बच्चों पर अपने परिवार के प्रति जिम्मेवारियाँ बढ़ जाती हैं. माता-पिता के प्रति पहले जैसा लगाव नहीं रहता. धीरे-धीरे भाई-बहनों के बीच भी आपसी प्रेम कम होने लगता है. इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में की है-

हाथ बदलते रिश्ते
रगड़ खाते सिक्कों की तरह
घिस जाती उनकी चमक-दमक देखते-देखते
रह जाता हाथों का मैल।
 
       कुँवर नारायण

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